होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)*
होते फागुन हम अगर, बसता हम में फाग (कुंडलिया)
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होते फागुन हम अगर ,बसता हम में फाग
मुस्काते फिर हर समय ,मन में रखते राग
मन में रखते राग ,प्रेममय होकर जीते
बनते कोयल-मोर ,वायु से मधु को पीते
कहते रवि कविराय ,सदा मस्ती में खोते
दिखते बारहमास ,देख सबको खुश होते
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा_
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451