होती है
होती है
हौसले को
कोशिश को
सीझ कर पकते हुनर को
कब
तब
जब जान लगा देता है कोई लक्ष्य के अस्तित्व की खातिर
जिंदा निर्विघ्न स्वाभिमान की खातिर
संकल्प के सकारात्मक उड़ान की खातिर
होती है
हाँ होती है समय को
“उम्मीद”
©️ दामिनी नारायण सिंह