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8 Aug 2024 · 1 min read

होती है

होती है
हौसले को
कोशिश को
सीझ कर पकते हुनर को
कब
तब
जब जान लगा देता है कोई लक्ष्य के अस्तित्व की खातिर
जिंदा निर्विघ्न स्वाभिमान की खातिर

संकल्प के सकारात्मक उड़ान की खातिर
होती है
हाँ होती है समय को
“उम्मीद”
©️ दामिनी नारायण सिंह

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