***होती है नैया पार नहीं***
***होती है नैया पार नहीं***
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वो कहते हम से प्यार नहीं,
हम उनके सच्चे यार नहीं।
वो बात दिलों की क्या जाने,
प्रेम बिन जगात संसार नहीं।
जो चीर कलेज़ा दिखला दे,
दो धारी कोई तलवार नहीं।
सूनापन छा जाए जीवन में,
तेरे आने का आसार नहीं।
वो जीना भी क्या जीना हो,
हँसी- ठिठोली तकरार नहीं।
वो क्या जाने पीड़ा मन की,
प्रेयसी मन में इकरार नहीं।
जो दो राहों मे है फ़स जाए,
होती है नैया कही पार नहीं।
जो तन मन घर कर जाए,
उस जैसा हो चमत्कार नहीं।
जहाँ रूठे वापिस ना आए,
ऐसा देखा वो परिवार नहीं।
पलकें बिछाए बैठे राहों में,
आ जाओ करो इंकार नहीं।
मनसीरत मंजिल तुम ही हो,
जीना मरना भी दुश्वार नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(