होता न गऱ इश्क़
होता न गऱ ये जिस्म तो अहसास भी न होता
होता न गऱ ये इश्क़ तो कोई खास भी न होता
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मिला देता है इश्क़ ही हर इक खासो आम को
होता न गऱ ये खास तो कोई पास भी न होता
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कपिल कुमार
31/10/2016