होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
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होता ओझल जा रहा ,देखा हुआ अतीत
समय सत्य कब लग रहा ,जो था साथ व्यतीत
जो था साथ व्यतीत ,फ्रेम में फोटो जड़ते
दूर लोक के लोग , जान ऐसे वह पड़ते
कहते रवि कविराय ,हृदय अक्सर है रोता
रहता कब कुछ पास ,दृष्टि से ओझल होता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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ओझल = दृष्टि की सीमा से बाहर ,छिपा हुआ , गायब