होठों के जाम बनूँ
***** होठों के जाम बनूँ *****
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तेरे प्यासे होठों का जाम बनूँ,
सूने आंगन का तेरा नाम बनूँ।
काली रातों में बदली रोज बने,
पगली राधा का मैं घनश्याम बनूँ।
दिन की कीमत है अंधा जान सके,
प्रातः से ले कर श्यामल शाम बनूँ।
भार्या को मत समझो ना धूल कभी,
सीता मैया का प्यारा राम बनूँ।
भाई चारे से बढ़ कर बात नहीं,
मैं तो चाहूँ भाई बलराम बनूँ।
मनसीरत करनी का फल आम मिले,
कार्य -कृत्य -क्रिया नित्य काम बनूँ।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)