होटल के कमरे से नैनीताल की झील
होटल के कमरे से नैनीताल की झील
मचलती दिखती हरदम
झिलमिल झिलमिल
झील की सतह पर बनते आकार
दर्शा जाते हैं मछलियों का विहार
एक मछली का निकल कर
गोता खाना फिर
सीमाओं को जैसे
लांघना चाहे दिल
होटल के कमरे से नैनीताल की झील
एक कोहरे का टुकड़ा
क्या लेने आया था जायजा
देखते ही देखत झील का
कोहरे से जाना घिर
अदृश्यता के पीछे मानो
देवदूत रहें हो मिल
होटल के कमरे से नैनीताल की झील
कोहरे का हटना अगले पल
तैरते आना बतखों का
मानसरोवर में जैसे
हंस गए हो दिख
जैसे मानस के विकार काट
आ आया हो शील
होटल के कमरे से नैनीताल की झील
फिर आती मनोहारी नाव
उस पर मनमोहक पाल
बहता बहता आ गया
आर. डी. बर्मन का काल
ओ.. माझी रे…..
मन हो गया गीला
भाव हुए गंभीर
होटल के कमरे से नैनीताल की झील