Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2021 · 1 min read

होगा नया सवेरा

माना आज सूर्यास्त हो रहा है
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है
कि सबकुछ खत्म हो रहा है

ये तो बस एक पड़ाव है
जो आज पूरा हो रहा है

होगा नहीं सूर्यास्त तो
नया सवेरा कैसे हो पाएगा
बदलेगा नहीं कुछ अगर
जीवन हमारा नीरस हो जायेगा।।

ज़िंदगी है बस चार दिनों की
मानते है हम सभी
जीयेंगे चारों दिन खुशी से हम
होगी बेहतर ये तभी।।

एक दिन ही तो बीत रहा है आज
जीया है जिसको जीभर तुमने
है दुआ मेरी खुश रहे तू कल भी
दिखाना है ऐसे ही जीकर तुमने।।

जीवन में बहुत कुछ पाया है तुमने
अभी और भी आगे जाना है तुमको
गर तुम्हें होगी कभी ज़रूरत हमारी
है वादा हमेशा, साथ ही पाओगे हमको।।

कुछ लोग बिछड़ जायेंगे जीवन से अब
आने वाला दिन माना होगा हमारे बिन
जैसा रहा ये दिन जो बीत रहा है आज
उससे भी बेहतर हो आपका आने वाला दिन।।

खुशियां मिले, रहे स्वास्थ्य उत्तम
सदा आबाद रहे परिवार तुम्हारा
है बस यही दुआ आखिर में मेरी
नए दिन में ऐसा हो संसार तुम्हारा।।

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 558 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
लकवा
लकवा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
पूर्वार्थ
जीवन का आत्मबोध
जीवन का आत्मबोध
ओंकार मिश्र
बारिश के लिए
बारिश के लिए
Srishty Bansal
चलो दूर चले
चलो दूर चले
Satish Srijan
अंदाज़े शायरी
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चुनिंदा अशआर
चुनिंदा अशआर
Dr fauzia Naseem shad
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
Aadarsh Dubey
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बाल  मेंहदी  लगा   लेप  चेहरे  लगा ।
बाल मेंहदी लगा लेप चेहरे लगा ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
भारत बनाम इंडिया
भारत बनाम इंडिया
Harminder Kaur
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अहसास तेरे....
अहसास तेरे....
Santosh Soni
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
जिन्दगी कभी नाराज होती है,
Ragini Kumari
आज बाजार बन्द है
आज बाजार बन्द है
gurudeenverma198
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
लक्ष्मी सिंह
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"अजीब दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
"ठीक है कि भड़की हुई आग
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य दृष्टि (कविता)
सत्य दृष्टि (कविता)
Dr. Narendra Valmiki
डॉक्टर्स
डॉक्टर्स
Neeraj Agarwal
भक्ति की राह
भक्ति की राह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
चाय और गपशप
चाय और गपशप
Seema gupta,Alwar
মানুষ হয়ে যাও !
মানুষ হয়ে যাও !
Ahtesham Ahmad
नींद आए तो सोना नहीं है
नींद आए तो सोना नहीं है
कवि दीपक बवेजा
Loading...