हॉस्टल कि यादें
तुम याद बहुत आते हो “दोस्त”
वो जो रोज़–रोज़ कि हँसने–हँसाने वाली
बातों भी अब तन्हा सा लग रहा है
वो समय समय पर जगने से लेकर
सोने तक का हरेक बिताया हुआ पल
बहुत याद आता है ।
दिन कि गोधूली बेला से लेकर
रात कि गहरी काली अंधेरी रातें तक
सिर्फ़ हॉस्टल और collectcent कि ही यादें आती रहती है ।
वो लाईन में लगकर नहाना और खाना बहुत याद आता है,जब अकेले बैठकर खाता हूं और कुछ ही देर में स्नान कर लेता हूं ।
वो पप्पु–प्रीतम की झगड़ा और दोस्ती वाली
प्यार,
वो प्रेम कि छोटी –छोटी गलती और मासूम सी चेहरा,
वो लवली कि आवाज़ ओर मोनू की मिमिक्री ,
वो क्लास की cantrol+c और हॉस्टल कि cantrol+v बहूत याद आते रहता है ।
वो शादी की आमंत्रण पत्र और कद्दिम्मा तथा शिशकोहरा की शादी,
वो टिंकल कि नादानी और ओमप्रकाश कि बचपना,
वो सौरव भाईजी के मैनेजमेंट और सलीम सर के प्लेसमेंट बहुत याद आता है ।