है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
अनभिज्ञ हो प्रिय! स्वाभिमान में गरल मानकर मैं गंगाजल पी जाउंगा।
-शशि “मंजुलाहृदय”
है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
अनभिज्ञ हो प्रिय! स्वाभिमान में गरल मानकर मैं गंगाजल पी जाउंगा।
-शशि “मंजुलाहृदय”