है बस साफ, निर्मल जल की धार l
है बस साफ, निर्मल जल की धार l
न सह सके, अप्रिय बाहर के वार ll
बहना है, बहाना बन बहेंगे l
भंवर मत दो, फसे है मझधार ll
इनकार, इनकार. भये इकरार l
हो जाओ, सदा सदा की बहार ll
सरेआम, सहज जो हो इकरार l
सहज हो जायेंगी, आँखें चार ll
मन, जीवन, सदैव रह होशियार l
प्यास पनपाये, द्वेषी हथियार ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न