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14 Feb 2017 · 1 min read

है न यह धरती..सब से ज्यादा गोल

बीती हुई रात में न जाने कितने चले गए
बीती हुई रात में न जाने कितने पैदा हुए
यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा रोज
यह पढ़कर कई दिन में ही बेहोश हो गए !!

यह खबर नहीं छपी थी यहाँ समाचारों में
यह तो आता रहता है रोजाना विचारों में
कल का सूरज देखें गे या नहीं देखने गे
यह सोच कर न घबराना इन विचारों से !!

यह दुनिया गोल नहीं , यह धरती बस गोल है
यहाँ किसी का नहीं चलता कुछ भी अपना मोल है
यहाँ हम सोते हैं, दुनिया में न जाने कितने खोते हैं
इस भ्रम में बस चलती जाती है ,क्यों की धरती गोल है !!

रात को किया व्यापार पूरा, चल दिया घर की और
रात में आये चोर , और नहीं छोड़ा उस के लिए कुछ और
हमने अपना काम किया, चोरों ने अपना काम अंजाम दिया
अब बता दो मेरे यारो , है न यह धरती..सब से ज्यादा गोल !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
249 Views
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