है नमन उन शहीदों को,जो तिरंगा ओढ़ कर सो गये -आर के रस्तोगी
है नमन उन शहीदों को,जो तिरंगा ओढ़ कर सो गये |
है नमन उन जवानो को,जो धरा पर नया बीज बो गये ||
क्या लिखू उनके बारे में अब,शब्द भी बौने हो गये |
जो मात पिता के दुलारे थे,वे अब सभी के हो गये ||
ये धरा भी रो रही है, उनके शोर्य को अब देख कर |
गगन भी विलख उठा है,उनके बलिदान को देख कर ||
वीणा के तार भी झंकृत हो उठे, उन्हें अब देख कर |
कैसे नमन करू उन को,उनके चेहरे विकृत देख कर ||
है नमन उस माँ को,जिसने ऐसे पुत्र को जन्म दिया |
देश की रक्षा के लिये,अपने पुत्र का बलिदान दिया ||
है नमन उस पिता को,जिसने ऐसे पुत्र को पैदा किया |
अपने बुढापे के सहारे को,देश पर उसने निछावर किया ||
है नमन उस बहिन को,जिसने भाई को विदा कर दिया |
अपनी रक्षा छोड़ कर,देश की रक्षा के लिये भेज दिया ||
है नमन उस पत्नि को,जिसने अपने सुहाग को भेज दिया |
अपने सुख चैन को छोड़ कर,देश को उसने समर्पित किया ||
आर के रस्तोगी