है तो है
मेरे लफ़्ज़ों में छुपा कोई फ़साना है तो है,
ये भी तुमसे बात करने का बहाना है तो है।
तुमको तो बकवास ही लगती हैं मेरी तुकबंदियां
पर क्या करूं ये मेरे दिल का तराना है तो है।।
नफ़रतों की धूप में, है इश्क ठंडी छांव-सी
इस मोहब्बत का मगर दुश्मन ज़माना है तो है।
मेरे जैसे लाख हैं, तुमको मेरी ही फ़िक्र क्यों
मेरी खातिर तूं मेरा आख़िर ठिकाना है तो है।।
चारदीवारी के बीच रहकर जीवन जिया है मैने
मेरे जीवन जीने का सहारा तू है तो है
जाने कितनी ख़ूबसूरत-सी बलाएं हैं यहां…
पर ये “अभिषेक” तुम्हारा दीवाना है तो है।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि