है जिसका रहमो करम और प्यार है मुझ पर।
गज़ल
काफिया- आर की बंदिश
रदीफ- है मुझ पर
वज़्न:
1212….1122….1212…22
है जिसका रहमो करम और प्यार है मुझ पर।
उसी को मारने का खूं सवार है मुझ पर।
के जब भी मांगा, हमें वो खुशी से देते रहे,
हिसाब बाकी है कितना उधार है मुझ पर।
शराब आज पिलाना नहीं मुझे साकी,
जो कल पिलाई थी उसका खुमार है मुझ पर।
मुझे ही खोज रहे हैं तुम्हारे दीवाने,
तमाम आंखों का जैसे रडार है मुझ पर।
मुझे न चाहिए दुनियां से और कुछ प्रेमी,
जो तेरा हाथ हे परवरदिगार है मुझ पर।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी