है ज़िंदगी हसीन
वो जो आज मेरे सामने खड़ा है
अभी भी जाने किस सोच में पड़ा है
लगता है, चोट बहुत खाई है उसने भी
तभी महफिल में भी अकेला खड़ा है
ये तो अक्सर होता है ज़िंदगी में
मिलता है जो हमें, खो जाता है
अब क्या फायदा याद करके उसे
ये जीवन कहां रोज़ रोज़ आता है
याद करके बीती बातों को
इस पल को जीना भूल गया है तू
मिलती है मुश्किल से ज़िंदगी
क्या ये भी भूल गया है तू
अब खुद को तुम्हें संभालना होगा
गीत नया जीवन में गाना होगा
जो तेरा था नहीं, वही तो छूटा है
अब तुझे लौटकर वापिस आना होगा
ज़िंदगी का एक एक पल अब
तुम्हें भी जीना होगा मेरे दोस्त
होती है बहुत हसीन ये ज़िंदगी
फिर जीकर देख ले मेरे दोस्त