है खिलौना दिल ये मेरा
2122 2122 2122
है खिलौना दिल ये मेरा है न काबिल
झूठ के बल हमने की है प्यार हासिल
अपने हिसाब हाथ आया किसी के भी
बन गया हूँ मैं ख़ुद से ख़ुद का कातिल
बीच दरिया आ गया करते तलाश
ढूँढना बाकी रहा अब अपना साहिल
छोड़ आया आशियाना प्यार का अब
सोचता कैसे करे फिर वहाँ दाखिल
कोई तो परवाह ‘राही’ की भी कर ले
नाम सुनकर प्यार का अब है ये गाफिल
(गाफिल =लापरवाह)
? रवि कुमार सैनी ‘राही’