Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

है कौन वहां शिखर पर

है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है
तुम में है कुछ बात वो ही वहां से बतला रहा है
जानो खुद को पहचानो खुद को कह रहा है
है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है
तुम ही हो जिसने खुद पर विजय पायी थी
जब घोर तम की निशा तुम पर छायी थी
तुम ने ही तो सब को रौशनी दिखाई थी
फिर क्यों आज खुद को बोना बता रहा है
है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है

Language: Hindi
179 Views
Books from सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
View all

You may also like these posts

Life is beautiful when you accept your mistakes and make eve
Life is beautiful when you accept your mistakes and make eve
पूर्वार्थ
मेरा कल! कैसा है रे तू
मेरा कल! कैसा है रे तू
Arun Prasad
2912.*पूर्णिका*
2912.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेज़ार सफर (कविता)
बेज़ार सफर (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
जोर लगा के हइसा..!
जोर लगा के हइसा..!
पंकज परिंदा
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
shabina. Naaz
क्यों नहीं आ रहे हो
क्यों नहीं आ रहे हो
surenderpal vaidya
“मिल ही जाएगा”
“मिल ही जाएगा”
ओसमणी साहू 'ओश'
मैं लोगों की तरह चांद तारे तोड़ कर तो नही ला सकता लेकिन तुम
मैं लोगों की तरह चांद तारे तोड़ कर तो नही ला सकता लेकिन तुम
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शायद मेरी सदा उसके दिल में उतर
शायद मेरी सदा उसके दिल में उतर
Shyam Sundar Subramanian
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
सात जनम की गाँठ का,
सात जनम की गाँठ का,
sushil sarna
हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे....😥😥😥
हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे....😥😥😥
Harminder Kaur
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
Rambali Mishra
आओ मना लें नया वर्ष हम
आओ मना लें नया वर्ष हम
Ashok Sharma
पयोनिधि नेह में घोली, मधुर सुर साज है हिंदी।
पयोनिधि नेह में घोली, मधुर सुर साज है हिंदी।
Neelam Sharma
" लम्हें "
Dr. Kishan tandon kranti
निभाने को यहाँ अब सब नए रिश्ते निभाते हैं
निभाने को यहाँ अब सब नए रिश्ते निभाते हैं
अंसार एटवी
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
Ajit Kumar "Karn"
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
Keshav kishor Kumar
#अभी_अभी
#अभी_अभी
*प्रणय*
ये बिल्कुल मेरी मां जैसी ही है
ये बिल्कुल मेरी मां जैसी ही है
Shashi kala vyas
एहसास
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
हर ज़ुबां पर यही ख़बर क्यों है
Dr Archana Gupta
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
Rj Anand Prajapati
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
gurudeenverma198
मौन
मौन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रेम बसा कण कण में
प्रेम बसा कण कण में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...