है कुछ यादे आज भी
शायद अब वो मुझे पहचान ना सके
दर्द दिल का वो मेरा ,ना जान सके
अल्फाज़ ऎ मोहब्बत, ना बयां कर सकूं
ना रो सकू ना केह सकू
मोहब्बत की सच्चाईया
ना मिटा सकूं ना छुपा सकूं
दिल की खामोशियां
ना वो समझ सके,ना समझा सकु
शायद अब वो मुझे पहचान ना सके
दर्द दिल का वो मुझे ,ना जान सके