है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
फिर न होंगे ये नज़ारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
ख़ाक कर देंगे यक़ीनन अम्न के सब आशियाँ
उठ रहे हैं जो शरारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
आसमां पर जब धुआँ बारूद का छा जायेगा
होंगें गर्दिश में सितारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
जंग तो है मसअला ख़ुद मसअले का हल नहीं
कोई जीते कोई हारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
हश्र का मंज़र तो ‘आसी’ होगा दोनों ही तरफ़
जब जलेंगे घर हमारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच