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2 Mar 2020 · 1 min read

है अब आदमी में अदावत ज़ियादा

———ग़ज़ल——-

है अब आदमी में अदावत ज़ियादा
सदा दिल दुखाने की आदत ज़ियादा

नहीं मोल रिश्तों वका रखता ज़रा भी
करे हर क़दम पर सियासत ज़ियादा

यहाँ आदमी ख़ुद को कहलाये मालिक
ये सब देख होती है हैरत ज़ियादा

अमीरों की नज़रों में देखा है अक़्सर
ग़रीबों की ख़ातिर हिक़ारत ज़ियादा

करेगा दग़ा ही ये संग में तुम्हारे
दिखाओ गे जितना मुहब्बत ज़ियादा

यक़ीं करना मुश्किल हुआ आदमी पर
अमानत में करता ख़यानत ज़ियादा

नहीं जीने देगा ज़माना ये तुमको
दिखाये जो “प्रीतम” शराफ़त ज़ियादा

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती[उ० प्र०]

1 Like · 228 Views
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