हैप्पी वेलेंटाइन डे
हैप्पी वेलेंटाइन डे
ऐसा कुछ नहीं हैं, मैं सिर्फ इतना ही जानती हूं कि वो मेरा बिता हुआ कल था… ठीक हैं जवानी के जोश में प्यार कर लिया उसकी ज़िन्दगी में हादसा होना था हो गया… लेकिन अब मैं उसे भूल चुकी हूं. रीटा ने नेहा से झुंझलाह भरे शब्दों मे कहां था.
नेहा- ये कैसी बातें कर रही हैं रीटा तूँ… पिछले 3 साल तुम लोगों ने एक दूसरे को प्यार करके निकाले हैं आज वो अपनी आंखे खो चुका हैं तो तूँ इतना बदल जायेगी ये मैंने सोचा नहीं था… मैं तो तुझसे इतना कहने आयी थी आज पूरे एक साल होने को हैं आज ही के दिन उसका एक्सीडेंट हुआ था… उस वक़्त तू भी उसके साथ ही थी… देख वो आज भी तेरा इंतज़ार कर रहा हैं… आज वेलेंटाइन डे हैं कम से कम आज तो उसे विष कर दें…?
रीटा- देख नेहा अब बहुत हुआ… मैं इस बारे में अब कुछ नहीं सुनना चाहती मैं अच्छे से जानती हूं मुझे मेरी ज़िन्दगी कैसे जीना हैं… उस अंधे का बोझ मैं ज़िन्दगी भर नहीं ढो सकती मेरी भी ख्वाहिशे हैं… मेरी भी आशाए हैं…
नेहा- मतलब तुझे उससे प्यार नहीं हुआ था..?
रीटा- जवानी के जोश में भटक गई थी और गलती कर बैठी थी… अगर तुझे इतनी हमदर्दी हैं तो तू जाकर विष कर दें.
नेहा रीटा के शब्द सुन कर तिलमिला सी जाती हैं और उठ ख़डी होती हैं
नेहा- माफ करना रीटा ये ज़िन्दगी है इस ज़िन्दगी में कभी ना कभी तुम्हे सामना तो करना ही पड़ेगा… मैं चलती हूं. लेकिन अब कभी नहीं आउंगी
रीटा- (अभिमान भरे अंदाज़ से) एज़ यू लाइक..
नेहा रीटा के घर से चली जाती हैं..
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इश्क़ में ऐसी कई युगल प्रेमियों की फितरत होती हैं.. जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी ख़ुशी के लिए इश्क़ के खेल को खलते हैं.. ऐसे हीं एक खेल की दास्तान इस वेलेंटाइन पर प्रस्तुत हैं उम्मीद हैं आपको पसंद आएगी.
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पांच साल बाद
शाम हो चली हैं…शहर का एम्स हॉस्पिटल का केम्पस रीटा किडनी रोग के डायलीसिस वार्ड के बहार बैठी हैं. लोगों का आना जाना लगा हैं… हल्का शोर शराबा हो रहा हैं उसी शोर में गिटार की एक धुन भी सुनाई दें रही हैं जो रीटा के कानों में घुलने लगती हैं रीटा फ़ौरन चौकान्नी होती हैं. और मन हीं मन सोचती हैं.
रीटा- ये कैसे हो सकता हैं…
वो एकदम से खडे होकर दीवारों और छत्त की तरफ देखती हैं लेकिन इंट्रेक्शन बोर्ड और पोस्टरो के सिबाय कुछ नहीं हैं
रीटा – यहां तो कोई भी साउंड बॉक्स नहीं हैं… फिर ये धुन कहां से आ रही हैं… वो चेयर से उठ कर ख़डी हो जाती हैं… और आवाज़ आने वाली दिशा कको तलाशती हैं वो बरामदे नुमा तीनों तरफ की गैलरीयों में तलाश कर के असहाय हो जाती हैं..
तभी उसके दिमाग़ में आता हैं के क्यों ना अस्पताल के किसी वर्कर से पूछा जाए.. वो सामने गैलरी में अपनी नज़रे दौडाती हैं… वहां आते जाते लोगों में उसे कोई नहीं मिलता.. फिर वो अपनी नजर दाए तरफ की गैलरी में दौडाती हैं तो सामने एक नर्स उसे दिखाई देती हैं रीटा तेज़ कदमों से उस नर्स के पास जाती हैं…
रीटा- एक्सक्यूसमी…?
नर्स – यस मेम..
रीटा – क्या आप बता सकती हैं कि ये मज़िक कहां बज रहा हैं…?
नर्स रीटा को आश्चर्य से देखती हैं..
रीटा- सिस्टर क्या आपको ये म्युज़िक सुनाई दें रहा हैं मैं आप से इसके बारे मैं पूछ रही हूं…?
नर्स- हां हां… सुनाई दें रहा हैं..
रीटा- फिर मुझे आप इस तरह क्यों देख रही हैं मुझे..?
नर्स- इससे पहले कभी किसी ने पूछा नहीं इसलिए
रीटा- सिस्टर बताइये ना प्लीस..
नर्स- ये साइड बाले प्राइवेट वार्ड के ब्लॉक के गार्डन से आ रही हैं..
रीटा – कहां से जाना होगा वहां के लिए
नर्स -वो उधर साइड से सीढ़ियों से चले जाइये आप…
रीटा – थेंक्यू सिस्टर…
और रीटा दौड़ती हुई सीढ़ियों की तरफ जाती हैं.
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रीटा गार्डन में आती हैं जो कवर्ड हैं… कुछ मरीज और उनके परिजन हरी हरी और रंग बिरंगियों की वादियों में लोग अपने आप को तरों ताज़ा कर कर रहें हैं.. रीटा की नजर पेड के पास लगी बेंच पर पड़ती हैं जहां एक शख्स बैठा गिटार पर धुन छेड़ रहा हैं जिस धुन को सुन कर रीटा यहां तक खींची चली आई थी…रीटा रोहन के पीछे की तरफ उसके करीब आ कर ख़डी हो जाती हैं.
रोहन गिटार बजाने में मगन हैं.. मंद मंद ठंडी हवा मानो बज रहें गिटार की धुन पर आठखेलिया कर रही हो… तभी रोहन को कुछ महक महसूस होती हैं… गिटार की लय थोड़ी बिगड़ती सी धीमी होने लगती हैं तभी रोहन बुद बूदाता हैं…
रोहन- रीटा…
इतना सुन रीटा थोड़ा पीछे को हटती हैं..
रोहन गिटार बजाना बंद कर देता हैं गिटार बेंच के ऊपर एक तरफ रख कर रीटा की महक को महसूस करने की कोशिस करता हैं.. रीटा और दूर को हो जाती हैं रोहन को जब रीटा की महक आनी बंद हो जाती हैं…तो रोहन फिर कहता हैं
रोहन- मैं तुम्हे कैसे भूलू रीटा… तुम्हारी महक तुम्हारा एहसास मुझे जीने नहीं देता…जैसे जैसे दिन करीब आते जा रहें हैं वैसे वैसे तुम्हारा वहम भी अब मुझे हक़ीक़त सा लगने लगा हैं…
रोहन खड़ा होता हैं अपना गिटार लेता हैं और छड़ी के सहारे रीटा के पास से होकर निकलता हैं.. उसे फिर रीटा के होने की गहरी महक का एहसास होता हैं और वो फिर बोल पड़ता हैं.
यूं ना आया करों तुम महक ए मिरे एहसास में
तिरे एहसास से जो हम वहक जाया करते है..!
और वो फिर एक अफ़सोस भरी सांस लेता है कुछ छड़ो के लिए सोचता है और फिर बुद बुदाता है
तिरि महक ए फ़िज़ा का गर हम एतवार कर भी लें
तो कभी ज़िन्दगी के इस विराने में आ जाया कारों..!!
वो रीटा के पास से निकलते हुए थोड़ा ठिठकता सा है..
तू फिर गहरी हो रही है रफ्ता रफ्ता मिरि सांसो में…!
गहरा हो रहा यकी जो तिरा मिरि ज़ेहन की आसों में..!!
रोहन- तुम यही हो रीटा मेरे…. आसपास हो तुम…पर क्यों हो… ये मैं नहीं जानता… पर तुम यही हो…
रोहन थोड़ा मुस्कुराता हैं और अपनी छड़ी के सहारे रास्ता तलाशते हुए आगे को निकल जाता हैं..रीटा चुपचाप अपनी सांसे रोक कर उसे जाता हुआ देख रही हैं… रोहन मानो क़दमों को गिनता हुआ प्राइवेट वार्ड की तरफ बने गेट से उस परिसर मे चला जाता हैं..
रीटा धक्क से रह जाती हैं… और वो वही असहाय सी होकर बैठ जाती हैं..असमंजस की मरोड़ उसके दिल में उठने सी लगी थी….वो मन हीं मन सोचने लगी थी
“ये कैसा इकफाक़ हैं आज रोहन का जन्मदिन भी हैं और आज हीं हमारी एनिवर्सरी भी हैं और आज पूरे 7 साल के बाद यहां आज मिले हैं… हे ईश्वर आप क्या कहना चाहते हो क्या समझना चाहते हो मैं नहीं समझ पा रही हूं… वो बिता हुआ कल और वर्तमान दोनों हीं एक हीं जगह पर…. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं… आखिर ये हो क्या रहा हैं..”
सोचते सोचते रीटा के आंसू गिरने लगते हैं और वो अपने आंसुओं को रोक नहीं पाती हैं… और रीटा सिसकते हुए रोहन जहां बैठा था उस बेंच के पास आती हैं और बड़े गौर से रीटा उस बेंच को देखती हैं और धीरे धीरे उस बेंच पर अपने हाथ को फेरते हुए महसूस करती हैं.. और रीटा बीते हुए कल के सोच में डूब जाती हैं…
रीटा और रोहन एक रेस्टोरेंट में कॉफी पी रहें हैं आज दोनों बेहद खुश हैं..
रोहन – चलो कम से कम आज के दिन तो तुम्हारे घर वाले हम दोनों की शादी के लिए राज़ी तो हो गए..
रीटा – ये गिफ्ट हैं आज के वेलेंटाइन का वो भी मेरी तरफ से समझें…..कल टाइम पर घर आ जाना मा और बाबा से मिलने..
रोहन रीटा के हांथ अपने हाथों में थामते हुए बोलता हैं…
रोहन कैसी बात कर रही हो रीटा..तुम देखना मैं तुम्हे एक दिन ऐसा गिफ्ट दूंगा के तुम भी याद करोगी…
रीटा -हां हां ठीक हैं पिछले पांच साल से यही सुनती आ रही हूं… देखती हूं ऐसा क्या गिफ्ट हैं जो मुझे आजतक नहीं मिला…. खैर छोड़ो कल कोई बहाना नहीं समझे टाइम पर घर आ जाना मां बाबा मेरी तरह तुम्हारा इंतज़ार नहीं करेंगे समझे..
रोहन – तुम कहो तो अभी चला जाऊं…
रीटा – मज़ाक़ छोड़ो रोहन..अब बहुत हुआ आज कही और चलते हैं…. ओ हां चलोना आज बनवारी के यहां की रबड़ी खाते हैं..मुझे कुछ मीठा खाने का मन कर रहा हैं…
रोहन – अभी… बनवारी रबड़ी की रबड़ी…?… रिटू मैं क्या सोच रहा हूं..
रीटा – फिर बहाने बाज़ी… देखों रोहन तुम मेरा मूढ़ खराब तो करों अब चुपचाप उठो यहां से और चलो यहां से
रीटा हेंड बेग से पैसे निकलती हैं और और उठ कर केश काउंटर की तरफ चली जाती हैं
रोहन जल्दी से अपने कप की कॉफी पीता हैं और उठ कर रीटा के पास जाता हैं
रोहन- अरे इतनी भी क्या जल्दी हैं रीटा.. दो मिनट तो रुको यार पेमेंट मैं किए देता हूं तुम रुको
और रोहन काउंटर पर पेमेंट करता हैं.. रीटा रोहन की शर्ट की जेब में पैसे रख कर बहार बाइक के पास चली जाती हैं… रोहन रीटा के पास आता हैं
रोहन – अब ये पैसे मेरी जेब में क्यों रख दिए तुमने
रीटा – क्यों इस जेब पर मेरा हक़ नहीं हैं क्या..?
रोहन – मेरा ये मतलब नहीं हैं रीटा…
रीटा- अब चलो ना यार तुम बकवास बहुत करने लगे हो..
रोहन- सॉरी… ओके..
और रोहन बाइक निकलता हैं बाइक स्टार्ट करता हैं और दोनों लम्बी सडक पर निकल जाते हैं.
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रोहन सडक के किनारे बाइक रोकता हैं…
रीटा – यहां क्यों रोक दी तुमने बाइक ..?
रोहन – अब जाना अपने को इसी रास्ते से सीधा हैं कितना आगे से जाकर गाड़ी घुमा कर लानी पड़ेगी… और फिर वापस जाना पड़ेगा तुम यही रुको मैं यू गया और यूं आया
रीटा बाइक से उतरती हैं रोहन भी बाइक का साइड स्टेण्ड लगते हुए उतरता हैं..
रोहन – तुम यही रुको में अभी आता हूं
और रोहन रोड क्रास करते हुए सडक के दूसरी तरफ जाता हैं रीटा उसे खुश होकर जाते हुए देखती हैं…
गाड़िया रोड के दोनों तरफ से आ जा रही हैं…
रीटा रोहन को देख रही हैं रोहन हाथ मे पार्सल लेता हैं और दुकान दार को पैसे देता हैं… और पलट कर रीटा को देखता हैं.. रोहन रीटा के पास सडक क्रॉस करके मस्ती करता हुआ आ रहा होता हैं
रीटा भी रोहन की मस्ती देखते हुए हंस रही हैं…. तभी उसकी हंसी एकदम चीख में बदल जाती हैं
रीटा – रोहन..S… S…. S…. S….
रीटा रोने लगती हैं.
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क्या हुआ मेडम…मेडम…पास से गुज़र रहें एक सभ्य से आदमी ने रीटा के पास आकर पूछा था.
रीटा का सपना टूटता हैं…रीटा उस आदमी की तरफ देखती हैं… और अपने आंसू पोछते हुए बोलती हैं.
रीटा – कुछ नहीं भाई सहाब…बस यूं हीं…
आदमी- ओह कोई बात नहीं… अपना ख्याल रखियेगा…
इतना कह कर वो आदमी वहां से चला जाता हैं…
रीटा अपनी साड़ी का पल्लू सम्हालते हुए ख़डी होती हैं..और जिस दिशा में रोहन गया था वो उसकी तरफ दौड़ती हुई जाती हैं…. वो अस्पताल की गैलरी में पहुंचती हैं सामने और गैलरी में देखती हैं… लोगों के चलते उसे रोहन कही दिखाई नहीं देता हैं तो रीटा अपने हीं कॉंफिडेंस के हिसाब से आगे को जाती हैं… तभी उसे रोहन दूसरी गैलरी में जाता हुआ दिखाई देता हैं रीटा तेज़ कदमों से उसके पीछे पीछे चल देती हैं… लेकिन तभी एकदम से उसके कदम ठिठक जाते हैं…और उसकी अंतर आत्मा की आवाज़ सुनाई देती हैं.
रीटा – ये तू क्या कर रही हैं रीटा… गुज़रे हुए ज़माने के पीछे इस तरह भागना ठीक नहीं रीटा… तेरा आज और आने वाला वर्तमान ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहा हैं…और तूँ आज फिर उस बीते हुए कल को फिर से जगाने जा रही हैं…
रीटा अपने कदम यही सोचते हुए मोड़ लेती हैं…और धीरे धीरे वो अपने पति के पास लौटने लगती हैं..
रीटा -अरे ये क्या…? तूँ बहुत स्वाभिमानी हैं…तेरी वजह से आज रोहन की ज़िन्दगी ऐसी नर्क बन गई हैं… इतने सालों बाद जब पश्यताप का मौका मिला तो आज फिर तूँ ऐसा वेयौहार कर रही हैं..
रीटा के कदम रुक जाते हैं…
रीटा – नहीं नहीं… मुझे एक बार रोहन से तो मिलना ही होगा…
फिर रीटा के कदम फिर ठीठकते है… और उसके कदम रोहन की तरफ पलटते हैं..
रीटा- इन बीते पांच सालों में मैं और वो कहां और किस हाल में रहें ना उसने कभी मेरे वारे में सोचा और ना मैंने सोचा…
यही सोचते हुए रीटा तेज़ क़दमों से रोहन के वार्ड की और जाती है… जहां लाइन से 10-12 कमरों के दरवाज़े है.. कोई खुले है तो कोई बंद है रीटा खुले हुए दरवाजों में झाकते-देखते हुए जाती है..
एक वार्ड के खुले दरवाज़े में जैसे ही झाकती है तो वो देखती है के रोहन अपनी छड़ी को फोल्ड करके सामने दीवार से लगी टेवल पर एक तरफ रख रहा है.. रीटा दरवाज़े के एक बंद दरवाज़े के पल्ले की आड़ से झाकते हुए देख रही है.. रोहन अपना गिटार कंधे से उतारता है और दीवार में लगी कील को टटोल कर गिटार को टांग देता है.. तभी उसे फिर रीटा की महक महसूस होती है..वो कमरे की फ़िज़ा में महक को महसूस करते हुए बोलता है…
उन खूबसूरत पलों की यादों सी है महकती तिरि खुशबू..!
शुक्र है उस खुदा का जो यादें महक तिरि मुरझाती नहीं…!!
इतना सुनते ही रीटा की सिसकियाँ निकल पढ़ती है वो अपने दोनों हांथो से अपने मुंह को दबाते हुए जल्दी से बंद दरवाज़े की दीवार से सिमट कर ख़डी हो जाती है..
रोहन दरवाजे की तरफ शेर बोलता हुआ आता है
महक ए एहसास से तिरा वजूद ए मौजूद जो जान पड़ता है..!
लगता है यूं के तुम आए हो बहाने ए महक के जान पड़ता है..!!
रोहन अपनी गर्दन दरवाज़े के बाहर निकलता है पहले बाए गर्दन घुमा के महक को महसूस करता है फिर दाए जहां रीटा दीवाल से भिची ख़डी है उसके तरफ गर्दन घूमता है और रीटा की महक को महसूस करता है..
ये वहम नहीं मिरा यकी है के तूँ है मौजूद यही कही..!
तू जो आए ना नज़र महसूस करें हूं तूँ है मौजूद यही कही..!!
और रोहन एक यकीन के साथ अपनी गर्दन पीछे खींच लेता है… और दरवाज़ा बंद कर लेता है… दरवाजा बंद होते ही रीटा सिसकते हुए दीवार के सहारे बैठ जाती है.. और रोने लगती है…तभी वहां से गुजरते हुए वार्ड बॉय ने रीटा को इस हाल में देखते हुए पूछा..
वार्ड बॉय – एनी प्रूवलम मेम..?
रीटा वार्ड बॉय की आवाज़ सुन उसके तरफ देखती है.. और अपने आसुओं को पोछते हुए
रीटा – नो थेक्स…
कहती हुई वहां से दौड़ती हुई सी निकल जाती है…!
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रात हो चली थी… अस्पताल की चहल कादमी दिन से कम पर वरकरार थी…
रोहन बेड पर लेटा हुआ हुआ कुछ सोच रहा है…मुकुंद दूसरे बेड पर दूसरी तरफ करबट के बल लेटा हैं तभी रोहन मुकुंद से पूछता है
रोहन- कल 3 तारीख हैं ना मुकुंद..?
मुकुंद – हा भईया कल 3 जानबरी हैं… क्यों क्या हुआ भईया…?
रोहन – कुछ नहीं बस ऐसे ही क्या तुम जरा वो मेरा ब्लैक फाइल फोल्डर निकाल कर दोगे..
मुकुंद फ़ौरन उठते हुए
मुकुंद- हा भईया एक मिनट अभी देता हूं
और मुकुंद बेग मेसे फाइल फोल्डर निकलता हैं और रोहन को लाकर देता हैं
मुकुंद – ये लो भईया
रोहन मुकुंद से फाइल लेता हैं उसे खोलता हैं 4पेज फोल्डर पलट कर 5वे फोल्डर से एक शादी का कार्ड निकलता हैं.. मुकुंद चुपचाप खड़ा देख रहा हैं
रोहन शादी के कार्ड को सहला कर महसूस करता हैं.. और खयलों में डूब जाता हैं….
रोहन बेड पर बैठा हैं और गिटार बजा रहा हैं तभी उसका दोस्त नीलेश आता हैं रोहन को किसी के आने की आहट होती हैं तो वो गिटार बजाना एकदम बंद कर देता हैं
रोहन – कौन…? निलेश
नीलेश चुप चाप रोहन के पास बैठता हैं
रोहन- क्या बात हैं यार आज तू कुछ उदास हैं
नीलेश पेट के पास के शर्ट का एक बटन खोल कर वहां से छिपाया हुआ एक शादी का कार्ड निकलता हैं और रोहन के हाथ में रख देता हैं
रोहन- (कार्ड को टोलते हुए पूछता हैं) ये क्या हैं यार…?
रोहन -अरे ये तो शादी का कार्ड है किसकी शादी का कार्ड हैं … बता ना…?
नीलेश चुप रहता हैं
रोहन – अच्छा साले तूने बताया भी नहीं सीधे अपनी शादी का कार्ड मेरे हांथो में रख दिया
नीलेश- खीजते हुए… मज़ाक बंद कर यार… ये..
नीलेश चुप हो जाता हैं
रोहन – चुप क्यों हो गया यार बोलना ये क्या..
?
नीलेश- (रोहन का हाथ थामते हुए ) ये रीटा की शादी का कार्ड हैं…
इतना सुनते ही रोहन धक्क से रह जाता है…कमरे में सन्नाटा सा छा जाता हैं कुछ देर बाद रोहन पूछता हैं
रोहन-(लड़खड़ाती जुबान में पूछता है ) कब हैं रीटा की शादी..?
नीलेश- कल..?
रितेश -ओह…!……. गुड़… गुड़…..चलो अच्छा ही हैं… अब मुझमे वो बात ही कहा रही… दोस्त इसमें इतना क्या सोचना उसने जो भी डिसीजन लिया ठीक ही लिया… बेचारी सारी उम्र मेरा बोझ ढोती…तो कैसे ढोती… और फिर मैं भी किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता…
नीलेश रोहन को देखता हैं रोहन की आंखो से आंसू गिरने लगते हैं नीलेश रोहन से लिपट जाता हैं..
नीलेश- यार कल तेरा बर्थडे भी हैं ये तो तेरे प्यार के इन्सल्ट की हद ही हो गई..
रोहन- अब हो गई तो हो गई…. पर हा… नीलेश आजके बाद अब मैं कभी भी अपना बर्थडे नहीं मनाऊंगा…
नीलेश- मैं क्या करू मेरे दोस्त तेरे लिए…? तुं बोल तो…
रोहन – नहीं मेरे दोस्त हम करने को बहुत कुछ कर सकते हैं.. लेकिन उस ऊपर वाले को मंजूर नहीं अब जो भी होगा उसकी मर्ज़ी से होगा…मैं ज़िन्दगी की हर चोट से घायल होने वालों मे से नहीं हूं… मैं हर चोट पर कमज़ोर नहीं होऊंगा दोस्त तुम देखना मैं मजबूती से खड़ा रहूंगा..
नीलेश – लेकिन उसने तुझे धोखा दिया है..
तू मुझे मिले या न मिले बस इतनी सी दुआ है मेरी
तू जिसे भी मिले तुझे उससे जिंदगी की हर ख़ुशी मिले…!!
रोहन- ये मोहब्बत है भाई इस में सब ज़ायज़ है.. किसी को धोखा मिलता है तो किसी इश्क़ मिलता हैमेरे दोस्त…दोस्त ये तेरी नज़र का नजरिया है.. लेकिन मेरे नजरिए की मोहब्बत है.. मैंने उसके जिस्म से नहीं रूह से मोहब्बत की है जो हर वक़्त मेरे ख्यालों में मेरे साथ रहेंगी…
मिरी आशिकी की भी हद तो देखों
इश्क़ में धोखे के बाद भी हम उनपर ही मरेंगे…
और नीलेश रोहन की इस अदा को देखता रह जाता है…
यहां रोहन की आंखे नम हो जाती हैं… रोहन अपनी हथेलियों से अपने आंसू पोछता हैं…और शादी का कार्ड फोल्डर मे रखते हुए मुकुंद से कहता हैं
रोहन – मुकुंद कल तुम्हे एक काम करना होगा
मुकुंद- ज़ी बताएं भईया…?
रोहन – तुम कल हॉस्पिटल के एडमिट डिपार्टमेंट के ऑफिस में पता करो कि कोई रीटा वर्मा नाम की पेसेंट एडमिट हुई हैं क्या उनके हसबेंड का नाम मयंक वर्मा हैं… और हा बहुत ही गोपनीय रह कर तुम्हे ये जानकारी जुटानी है.. समझे
मुकुंद- जी भईया आप निश्चिंत रहें…कल सुबह पता लग जाएगा… लाओ ये फाइल बेग में रख दूं…
रोहन -नहीं अभी इसे मेरे पास ही रहने दो… वैसे अभी टाइम क्या हो रहा है..?
मुकुंद -8 बजने वाले हैं भईया जी
रोहन – लेटते हुए खाना भी आता ही होगा अभी
मुकुंद – हा भईया….मैं जब तक पीने का पानी ले आता हूं.
रोहन- हां ठीक हैं..
और मुकुंद पानी की बोतल उठा कर बाहर जानें के लिए दरवाज़े की तरफ चला जाता हैं… रोहन बिस्तर पर लेटा लेटा… कुछ सोच में डूब जाता हैं.कुछ पल शांत रहने के बाद वो फिर बुडबड़ता सा हैं..
अंधेरे में जो ढूंढे हैं हम आफ़ताब
बंद आंखें कर जो हम उजाले देखते हैं…!
हुआ ना ज़िन्दगी ए अस्त वो ख्वाब
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दूसरे दिन
रीटा मेन गेट पर ख़डी हैं और गार्ड से रोहन के वार्ड में जानें के लिए गार्ड से रिक्वेस्ट कर रही हैं वही गार्ड रीटा को वहां के नियमों को उसे बता रहा हैं…
गार्ड – मैडम जी ये प्राइवेट वार्ड हैं… मैं इस बारे में आपको कोई भी जानकारी नहीं दे सकता जब तक पेसेंट या पेसेंट के घर वाले नहीं कहते.
रीटा – अच्छा आप इतना तो बता सकते हैं क्या यहां कोई रोहन मखीजा नाम का कोई हैं क्या…?
गार्ड -मेडम ऐसे तो मैं किसी रोहन मखीजा को नहीं जानता.. आप वेबजह मेरा समय बर्वाद कर रही हैं… प्लीस मेम आप जाइये मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता यहां के रूल बहुत अलग हैं प्लीस मेम…
रीटा असहाय हो कर रह जाती हैं… और कुछ देर वही खडे होकर सोचने लगती हैं..
रीटा – आखिर कैसे पता चलेगा…वो अपने हाथों को वेबसी से मसलती रह जाती हैं तभी उसके दिमाग में कुछ कोधता हैं…
रीटा- अच्छा भईया… क्या आप मेरी इतनी भी मदद नहीं कर सकते…?
गार्ड – देखिएगा मेम मैं आप से हाथ जोड़ कर विनती करता हूं मैं आपकी कोई भी मदद नहीं कर सकता… प्लीज..!
रीटा उसका ये अनुरोध देख कर… चुपचाप वहां से चली जाती हैं.
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रोहन को मुकुंद के आने का इंतज़ार हैं.. तभी रूम का दरवाजा खुलता हैं मुकुंद अंदर आता हैं.
रोहन – जानकारी मिली..?
मुकुंद रोहन के पास आ कर
मुकुंद – हा भईया जी सारी डिटेल ले आया हूं..आपका शक सही हैं भईया मयंक वर्मा नाम का आदमी न्यूरो वार्ड में एडमिट हैं उसकी एक किडनी खराब हो चुकी हैं दूसरी भी डेमेज होने की कगार पर हैं डायलसिस पर हैं वो अभी भईया रीटा वर्मा उसकी वाइफ हैं भईया…
रोहन कुछ सोचता हैं….
रोहन – ठीक हैं अभी दोपहर के बाद जाना और आर्गेन डोनेसन डिपार्टमेंट से एक फॉर्म लेते आना
मुकुंद-जी भईया… क्या आपको कुछ तकलीफ हो रही हैं.
रोहन -हां थोड़ा सिर में दर्द हो रहा हैं
मुकुंद – मैं अभी डॉ खन्ना को बताता हूं भईया
और मुकुंद वहां से जल्दी निकल कर चला जाता हैं..
रोहन – (दर्द को पीते हुए थोड़ा सा मुस्कुराता हैं ) ये पगला भी ना इतना घवरा जाता हैं.. काश के ये मौत भी अपनों के सामने ना होती तो कितना अच्छा होता…
सोचे हैं तिरि आरज़ू में मरने की
कम्बख्त मौत हैं कि आती नहीं…!
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शाम हो चली हैं रीटा हॉस्पिटल के परिवेश की गेलरी में घूम रही हैं.. उसे आज फिर उस धुन का इंतज़ार हैं… वो कुछ सोचते हुए एक पिलर से टिक कर ख़डी हो जाती हैं और सोच में डूब जाती हैं…
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रोहन गिटार प्ले कर रहा हैं और रीटा अपनी आंखे बंद करके बैठ कर सुन रही हैं..रीटा आंखे बंद करके ख़डी हैं मानो वो अभी भी वही उस वादियों में रोहन के साथ हैं कैमरा ज़ूम बेक तो मिड मास्टर शॉट सिजेसन में हॉस्पिटल कर्मचारी खड़ा हैं
कर्मचारी- मैडम जी… मैडम जी…
कर्मचारी की आवाज़ सुनते ही रीटा की तन्द्रता टूटती हैं वो आंखे खोलती हैं
रीटा- जी..?
कर्मचारी – मेडम ये इंग्लिशजेक्शन ले आइयेगा
रीटा उससे पर्चा लेती हैं और वो पर्चा देकर चला जाता हैं…
रीटा कुछ पल वही रुकी रहती हैं और फिर लम्बी सांस भरते हुए केमिस्ट की शॉप की तरफ चली जाती हैं…
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दस दिन बाद
रोहन के रूम में अफरा तफरी मची हैं… रोहन अचेत बेड पर पड़ा हुआ हैं डॉ. रोहन के पास खडा उसकी पल्स चेक कर रहें हैं..
डॉ. – (मुकुंद से ) इनकी प्लस बहुत कम आ रही हैं इन्हे जल्दी आइसीयू में सिफ्ट करना पड़ेगा (डॉ. वार्ड बॉय से) पेसेंट को जल्दी आइसीयू में शिफ्ट करो…
इतना सुनते ही वार्ड बॉय जल्दी से बाहर जाता हैं तभी रोहन में थोड़ी चेतना लौटती हैं
रोहन- मुकुंद
मुकुंद- जी भईया.. आपको कुछ नहीं होगा डॉ सहाब आ गए हैं..
रोहन डॉ. को देख थोड़ी स्माइल करता हैं
रोहन- अब इससे ज्यादा क्या होगा इसका अंतिम सफर मौत ही हैं, क्यों डॉ. सहाब…?
डॉ रोहन को इशारे से चुप रहने को कहते हैं
रोहन- इसमें इतना क्या घवराना सब को जाना हैं किसी ना किसी कारण से… मेरे जाने का भी शायद यही कारण हो… हे ईश्वर कुछ दिन और रहने दे किसी को दिया हुआ वादा पूरा कर सकूं…
मुकुंद- देखा डॉ. भईया जी कुछ दिनों से ऐसी ही बहकी बहकी बातें कर रहें हैं आप समझाइए ना इन्हे…
रोहन फिर मुस्कुराता हैं और फिर अचेत हो जाता हैं
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तीस दिन बाद
रीटा- क्या मैं अपने हसबेंड को देख सकती हूं…?
डॉ. अभी नहीं 24 घंटे बाद ही आप उन्हें दूर से देख सकती हैं… सब ठीक रहा अपना ख्याल रखियेगा….ओके टेक केयर..
इतना कह कर डॉ. वहां से चला जाता हैं… रीटा अपने दोनों हाथ जोड़ कर ईश्वर का धन्यवाद करती हैं जैसे ही अपनी आंखे खोलती हैं तो उसके सामने मुकुंद खड़ा हैं..उसके हाथ में एक एनवलप हैं
मुकुंद- (दोनों हाथ जोड़ कर) नमस्ते..मेडम..!
रिया- (रिया आश्चर्य से ) जी नमस्ते…..! लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं..?
मुकुंद एन वलप देते हुए
मुकुंद- ये रोहन भईया ने आपको देने को कहां था.
रीटा – र… रोहन..?
मुकुंद – जी
रीटा जल्दी से एनवलप लेते हुए
रीटा- क्या हैं इसमें…?
मुकुंद- ये तो मुझे नहीं पता आप खुद देख लीजिए.. अच्छा नमस्ते मैं चलता हूं
रीटा -अरे सुनो… एक मिनट मेरी बात तो सुनो
लेकिन मुकुंद वहां से तेजी से चला जाता हैं..
रीटा उसे जाता हुआ देखती भर रह जाती हैं.. और सोचने लगती हैं तभी उसे अपने हाथ में लिए एनवलप का ख्याल आता और वो एनवलप को खोलती हुई सामने लगी चेयर पर बैठ जाती हैं एनवलप से एक पेपर निकलता हैं रीटा उसे खोल कर देखती हैं..
पत्र
रीटा अब मत कहना के मैंने तुम्हे गिफ्ट नहीं दिया
मयंक का ख्याल रखना और हां अपना भी….हैप्पी वेलेंटाइन डे…
अलबिदा…
इतना पढ़ते ही रीटा के मुंह से आह निकल जाती हैं उसे समझ नहीं आता के वो क्या करें. उसकी आंखो से आंसू गिरने लगते हैं..रीटा को नेहा की बातें याद आने लगती हैं
नेहा- ये कैसी बातें कर रही हैं तूँ… पिछले 3 साल तुम लोगों ने एक दूसरे को प्यार करके निकाले हैं आज वो अपनी आंखे खो चुका हैं तो तूँ इतना बदल जायेगी ये मैंने सोचा नहीं था… मैं तो तुझसे इतना कहने आयी थी आज पूरे एक साल होने को हैं आज ही के दिन उसका एक्सीडेंट हुआ था… उस वक़्त तू भी उसके साथ ही थी… देख वो आज भी तेरा इंतज़ार कर रहा हैं… आज वेलेंटाइन डे हैं कम से कम आज तो उसे विष कर दें…?
रीटा- देख नेहा अब बहुत हुआ… मैं इस बारे में अब कुछ नहीं सुनना चाहती मैं अच्छे से जानती हूं मुझे मेरी ज़िन्दगी कैसे जीना हैं… उस अंधे का बोझ मैं ज़िन्दगी भर नहीं ढो सकती मेरी भी ख्वाहिशे हैं… मेरी भी आशाए हैं…
नेहा- मतलब तुझे उससे प्यार नहीं हुआ था..?
रीटा- जवानी के जोश में भटक गई थी और गलती कर बैठी थी… अगर तुझे इतनी हमदर्दी हैं तो तू जाकर विष कर दें.
सोचते सोचते रीटा फफक फफक कर रो पड़ती हैं…
रीटा – मैं कितनी सेल्फिश हो गई थी आज भगवान ने मेरा घमंड तोड़ दिया… रोहन के इस एहसान को मैं कैसे चुका पाउंगी…. हे भगवान मयंक जब इस बारे में पूछेंगे तो क्या कहूंगी उनसे….
और रीटा के आंसू बहे जा रहें थे….
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समाप्त