हैं नजदीक चुनाव
नेताओं का जिस तरह,बदला स्वत: स्वभाव !
शायद मेरे देश मे,……..हैं नजदीक चुनाव ! !
राजनीति मे घुस गया, वंशवाद पुरजोर !
ले जाएगा देश को,पता नही किस ओर ! !
होते नही समक्ष पर,रखें परस्पर ध्यान !
लगते है अच्छे मुझे, मित्र वही श्रीमान ! !
दिल में जिसके पाप का ,होता रहे निवेश !
कैसे जाए द्वार पर,……उसके बता रमेश ! !
रमेश शर्मा