हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
मुझको पागल ही किए जाएंगे मद उस रंग का।
शायरी के आशिक़ी में मयकशी तक आ गया….
कौन गाएगा ग़ज़ल अब मुझसा इक खुद रंग का।
दीपक झा रुद्रा
हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का
मुझको पागल ही किए जाएंगे मद उस रंग का।
शायरी के आशिक़ी में मयकशी तक आ गया….
कौन गाएगा ग़ज़ल अब मुझसा इक खुद रंग का।
दीपक झा रुद्रा