हैं कूदरत की बेरुखी या किसी अनजान की है साजिश…या हमारे दिल में छुपा केवल एक ड
हैं कूदरत की बेरुखी या किसी अनजान की है साजिश…या हमारे दिल में छुपा केवल एक डर जिसने दबा रखी है हमारी ख्वाहिशें बरसों से!
जिंदगी हर पल गुलजार होना चाहती है
उन्मुक्त आकाश में हवाओं को पीना चाहती हैं