हे सेनानी !वीर सिपाही!!
हे सेनानी वीर सिपाही तेरा नित- नित अभिनंदन है।
तू अमन चैन का सजग प्रणेता,तेरा नित ही अभिवंदन है।
खड़ा अडिग सीमा पर डटकर,तू ही सच्चा सेनानी है।
सीमाओं की रक्षा खातिर ही कर दी बलिदान जवानी है!
देशभक्ति सबसे ऊपर है,तू ही माथे का चंदन है।
हे सेनानी वीर सिपाही——+++
जेठ दुपहरी माघ शीत में,तू सीमा पर डटा हुआ है।
राष्ट्र भक्ति की मर्यादा को,अन्तर्मन से सहज छुआ है।
रहे हौंसले भी बुलंद हैं,अरि के मन में अब भी क्रंदन है।
हे सेनानी वीर सिपाही++++++++
हम तो सोते पांव पसारे,हुए मोदमय घर चौबारे।
सीमा पर तुम जाग रहे हो,मन में देश प्रेम को धारे।
सीमा पर लड़ने वाला नर,वीर शिवा का नंदन है।
हे सेनानी वीर सिपाही तेरा नित-नित अभिनंदन है।
सब कुछ अपना न्यौछावर कर, किया समर्पित है जीवन यह,
आंच नहीं आने दी तिल भर,करी नहीं उफ भी सब कुछ सह।।
मातु पिता औ पत्नि बहना,छोड दिया घर का बंधन है।
हे सेनानी वीर सिपाही तेरा नित-नित अभिनंदन है।
करके तूने सभी समर्पित, लोकतंत्र को किया है रक्षित।
सबको सुविधा लाभ दिये है, खुद उनसे तू रहता वंचित।
जोश सभी में भरता है नित, कालजयी तू स्पंदन है।
हे सेनानी वीर सिपाही तेरा नित-नित अभिनंदन है।
नेताजी और वीर भगत सिंह, तेरी ही छवि में बसते हैं।
अब्दुल हमीद औ शेखर भी, प्रतिनिधित्व तेरा करते हैं।
शौर्य वीरता का बस तू ही,दिव्य सुशोभित सा कुंदन है।
हे सेनानी वीर सिपाही तेरा नित-नित अभिनंदन है।