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7 Nov 2024 · 1 min read

हे सूरज देवा

#दिनांक:-7/11/2024
#शीर्षक:- हे सूरज देवा
#विधा:- छठ लोकगीत

पानी कॅ पियासल तिरिया,
जोहत बाटिन बाट हो,
हे सूरज देवा,
जल्दी जल्दी आवा हमरे घाट हो,
हे सूरज देवा –2

रहम करीं तीन दिन से,
बाटी हम भूखल पियासल,
बदरी में जाके काहे,
करत हौआ लुकाछिपल__,
अब ना सतावा जल्दी हेन्हें आवा हो,
हे सूरज देवा।
जल्दी जल्दी आवा हमरे घाट हो
हे सूरज देवा—2।

अबकी बरस हम कईले बानी छठ पूजा,
बनउले बाटी रच-रचकर हम ठेकुआ,
सूप के सजा बीच दीपक जलाईला ,
बांसे क बहंगिंया संग चलिला घाट हो,
हे सूरज देवा।
जल्दी-जल्दी आवा हमरे घाट हो ।
हे सूरज देवा–2।

अखण्ड सौभाग्य रहे करत बानी विनती,
छठी मैया सलामत रखिहा बालक हमरे गोदी ,
मोर तिरिया क व्रत पावन, झर-झर झरें mor नयनवॉ,
पूरब दिशा मॅ फैलाइ दा ललकी किरनियां हो,
हे सुरज देवा,
जल्दी-जल्दी आवा हमरे घाट हो,
हे सूरज देवा—2।

पानी क पियासल तिरिया ,
जोहत बाटिन बाट हो,
हे सूरज देवा,
जल्दी जल्दी आवा हमरे घाट हो,
हे सूरज देवा————-|

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
Tag: गीत
10 Views
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