हे राम
हे राम!…
********
हे राम! हे राम!
हे राम!तुम्हारा अभिनन्दन
करते हैं हम नित्य नमन वंदन
हाथ जोड़कर शीश झुकाकर
हम करते आपका अभिनन्दन ।
रखना हम पर कृपा प्रभु,
हे कौशल्या सुत रघुनंदन,
हे दशरथनन्दन स्वीकार करो
करता हूं मैं नमन वंदन
हे राम! तुम्हारा अभिनंदन।
तुम हो पालनहार प्रभु,
तुम तो हो अवतार प्रभु।
तुम जीवन के संचार प्रभु,
तुमसे ही संसार प्रभु।
जग के तुम ही सार प्रभु,
तुम ही दीपक की ज्योति प्रभु,
हर जगह तुम्ही हो राम प्रभु,
इस जीवन का आधार प्रभु।
शीश झुकाकर विनय करुँ
और करूं मैं नमन वंदन
हे राम! तुम्हारा अभिनंदन।
इस जग के हो संचार प्रभु ,
इस नन्दन वन के आधार प्रभु
हे जगत नियंता नाथ प्रभु
हो जग के तुम्हीं सनातन प्रभु।
तुम जगतपति जगदीश्वर हो
तुम ही सबके अंकश्वेर
तुम मां सरयू की जलधारा हो,
बस तुम ही एक सहारा हो,
स्वीकार करो मेरा नमन वंदन
हे राम,तुम्हारा अभिनंदन।
हे विष्णु अवतारी राम प्रभु
शबरी के झूठे बेर भी तुम हो
अहिल्या की प्रतीक्षा भी तुम हो,
रामसेतु की सिला भी तुम हो
केवट का विश्वास भी तुम हो।
कुंभकर्ण, मेघनाद के तारक तुम हो
रावण बालि के उद्धारक भी तुम हो,
दुष्टों, राक्षसों के संहारक तुम हो,
सुग्रीव विभीषण के प्रतिपालक तुम हो।
हो मेरे सांसों की डोर प्रभु
हो मम जीवन आधार प्रभु,
शीश झुका करुँ नमन वंदन
हे राम! तुम्हारा अभिनंदन।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित