Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2022 · 2 min read

हे राम! हे राम

पितृपक्ष विशेष
हे राम! हे राम
*************
मेरे प्यारे बच्चों
तुम सबने अब तक जो भी किया
सब अच्छा ही किया या नहीं किया
इन सबका अब मेरे लिए
कोई महत्व नहीं रह गया,
क्योंकि अब मेरा अंतिम समय आ गया।
तुम सबने अपनी सुविधा से
अपना फ़र्ज़ निभाया,
मेरी सुख सुविधा का कभी
तुम सबको ध्यान ही नहीं आया।
इसका मलाल तो है मुझे
क्योंकि मैंने पिता पुत्र सहित
अपना हर धर्म अच्छे से ही निभाया,
पर मेरे हाथ कुछ नहीं आया,
शायद अपना फ़र्ज़ मैं अच्छे से नहीं निभा पाया।
चलो कोई बात नहीं
जो भाग्य में था वो मिला मुझे,
न शिकवा न कोई गिला मुझे।
अब न पंडित, न काजी की जरूरत है
तुम्हारे रोटी पानी की भी
अब तो बचत ही बचत है।
अब तुम सब अपना सोचो
क्योंकि अब मेरे जाने को समय हो गया है।
मेरी लाश का क्रियाकर्म करो न करो
मुझे क्या फर्क पड़ेगा,
अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान से
न कोई मोक्ष मिलेगा।
जो मिलना था धरा पर ही मिल गया,
अब तुम सबका बोझ कम हो जायेगा
देखो मेरे प्राण मेरा शरीर छोड़ जा रहे हैं,
अब तुम सबसे मेरा रिश्ता खत्म हो रहा है।
मैं भार था तुम सब पर अब तक
आज उस भार से मुक्त कर रहा हूँ
इस दुनिया से बहुत दूर जा रहा हूँ,
तलाशी लेना चाहो तो ले लो
देख लो खाली हाथ ही जा रहा हूँ
हे राम! हे राम! बोल रहा हूँ
अब तुम सबसे विदा ले रहा हूँ।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 134 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
बात तब कि है जब हम छोटे हुआ करते थे, मेरी माँ और दादी ने आस
बात तब कि है जब हम छोटे हुआ करते थे, मेरी माँ और दादी ने आस
ruby kumari
2387.पूर्णिका
2387.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जाना ही होगा 🙏🙏
जाना ही होगा 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नूतन सद्आचार मिल गया
नूतन सद्आचार मिल गया
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"सन्देश"
Dr. Kishan tandon kranti
दोस्ती का रिश्ता
दोस्ती का रिश्ता
विजय कुमार अग्रवाल
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
कुमार
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
क्यों नहीं निभाई तुमने, मुझसे वफायें
gurudeenverma198
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Manu Vashistha
■ पसंद अपनी-अपनी, शौक़ अपने-अपने। 😊😊
■ पसंद अपनी-अपनी, शौक़ अपने-अपने। 😊😊
*प्रणय प्रभात*
शायरी
शायरी
Sandeep Thakur
सुंदर नाता
सुंदर नाता
Dr.Priya Soni Khare
गजल
गजल
Punam Pande
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
Smriti Singh
"" *हे अनंत रूप श्रीकृष्ण* ""
सुनीलानंद महंत
सुंदर नयन सुन बिन अंजन,
सुंदर नयन सुन बिन अंजन,
Satish Srijan
जिसके लिए कसीदे गढ़ें
जिसके लिए कसीदे गढ़ें
DrLakshman Jha Parimal
लोगों को जगा दो
लोगों को जगा दो
Shekhar Chandra Mitra
नेता
नेता
surenderpal vaidya
सपना
सपना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
!............!
!............!
शेखर सिंह
नशा
नशा
Mamta Rani
Loading...