हे महाकाल हे शिवशंकर
हे भोले,हे शिवशंकर,हे विश्वनाथ,हे अभ्यंकर,
हे महाकाल, हे नागेश्वर,जय हो तेरी हे विश्वेश्वर।
तीनों लोकों के तुम हो दाता,हे त्रिपुरारी विश्व विधाता,
नमः शिवाय के पंचाक्षर से समस्त विश्व तुम्हें पा जाता।
गले में सर्पों की माला,कमर में बांधे हो मृगछाला,
समस्त विश्व की रक्षा की खातिर स्वयं हीं विषपान कर डाला।
गले में धारण विष को करके नीलकंठ हो कहलाये,
हाथों में त्रिशूल,माथे पर चंद्रमा धारण करने वाला।
गौरा के शिव, भक्तों के भोले डमरू धारण करने वाला,
सोमनाथ,हे वैद्यनाथ,हे विश्वेश्वर भोला भाला।
जय हो तेरी हे महाकालेश्वर,जय हो तेरी हे ओम्कारेश्वर,
जय हो तेरी हे रामेश्वर,जय हो तेरी हे त्र्यंबकेश्वर।
कैलाशी कहूं या मरघट वासी, महाकाल कहूं या अविनाशी,
तेरे हीं पुण्य धाम हैं शिरडी, मथुरा,काबा, काशी।
भांग, धतुरे, बेलपत्र हैं तुमको अति प्यारे,
हे सोमनाथ,हे वैद्यनाथ सृष्टि के कण-कण में बसने वाले।
तीनों लोकों के तुम हो स्वामी, माता गौरा तुम्हें अति प्यारी,
कार्तिक और गणेश दो सुत तिहारे, जिनकी महिमा जाने सृष्टि सारी।