हे महाकाल, शिव, शंकर।
हे महाकाल,शिव,शंकर…
विष धारण किए नील कंठ…!!!
सम्पूर्ण विश्व समाएं बैठे तुम हो स्वयं के अंदर…
हे महादेव तुम हो…
करुणा के समंदर…!!!
तुम हो सर्व पूज्य अर्चन…
तुमको प्रभु मेरा है कोटि कोटि नमन…!!!
हे पृथ्वी के दुख हरता…
तुम्हारी दृष्टि में है समरूपता…!!!
क्या सुर, क्या असुर सब ही करते है…
तुम्हारी भक्ती और वंदना…!!!
प्रत्येक रूप में तुम्हारी महिमा का…
मैं भक्तिपूर्वक गुणगान करूं…!!!
ॐ नमः शिवाय के जप से…
मैं स्वयं को नित ऊर्जावान करूं…!!!
तुलना किससे तुम्हारी मैं करू…
तुम अपरिभाषित,अजर हो…!!!
तुम सर्वथा प्रत्येक रूप में…
अनंत,अमर हो…!!!
व्याप्त हो तुम तो…
सम्पूर्ण जगत के कण कण में…!!!
भक्ति का फल देने को…
तुम प्रकट होते हो हर क्षण में…!!!
तुम्हारा नित वंदन मैं करता हूं…
तुम्हारे चरणों में शीश को अर्पण करता हूं…!!!
तुम हो अनन्य शक्ती का स्रोत…
तुम्हारी भक्ती से मैं आत्म सुख ग्रहण करता हूं…!!!
सत्य ही शिव है…
शिव ही शक्ति है…
ये सबसे कहता हूं…!!!
सुर,असुर,दीन,हीन के तुम रक्षक हो…
तुम्हारी जय हो जय हो महाकाल…
ये जपता रहता हूं…!!!
तुम्हारा दर्शन शब्दो में…
ना उल्लेखित हो सकता है…!!!
जहां मानव ज्ञान पराकाष्ठा…
का अंत होता है…!!!
वही से हे कृपाल दर्शी…
तुम्हारा ज्ञान प्रारम्भ होता है…!!!
तुम महाप्रलय तुम महाविनाशक…
तुम त्रिकाल दर्शी हो…!!!
देवों के देव हे महादेव…
तुम अजन्में देवों में शिरोमणि हो…!!!
हे महादेव तुम रक्षा करो…
हम पापी दुष्ट है हमको क्षमा करो…!!!
कर लो ग्रहण मेरी भक्ति भी…
मुझको मोक्ष प्रदान करो…!!!
तुम हो कृपाल…
तुम हो त्रिकाल…!!!
तुम्हारी जय हो,जय हो…
हे महाकाल…!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ