हे भगवान दे यह वरदान
हे! भगवान यह दे वरदान
व्यर्थ नहीं जाए बलिदान
जनता में हो जाऊँ मशहूर
जन जन का बनूँ कोहिनूर
ना कोई बनूँ मैं अधिकारी
ना कर्मचारी नहीं व्यापारी
ना साहूकार ना ही पत्रकार
ना दस्तकार नहीं चित्रकार
ना संतरी ना ही कारोबारी
ना नीतिकार ना हस्तकारी
ना अधिवक्ता नहीं शिक्षक
ना चिकित्सक ना प्रशिक्षक
ना जमीदार ना काश्तकार
बस हो जाए यह चमत्कार
चुनावी टिकट कहीं से पाऊँ
बन टिकटार्थी जोर लगाऊँ
जनता का खूब मूर्ख बनाऊँ
निज उल्लू सीधा कर जाऊँ
सांसद -विधायक बन जाऊँ
किसी पार्टी हाथों बिक जाऊँ
कहीं पर मैं बंधक बन जाऊँ
विश्रामालय में मैं छिप जाऊँ
सियासतदार का संदेशा पाऊँ
जोडं-घटा का गणित बिठाऊँ
राजसत्ता की कूंजी बन जाऊँ
भयादोहन का मैं खेल कराऊँ
जिधर पलड़ा भारी झुक जाऊँ
वैभव तराजू में, मैं तुल जाऊँ
मतदाता हारे, मै जीत जाऊँ
मंत्री पद को हासिल कर जाऊँ
यही अभिलाषा यही जिज्ञासा
हे !भगवान,पूर्ण करो ये आशा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत