हे बेटी…
हे बेटी….
तू नृत्य नहीं, संगीत नहीं,
तू साज नहीं ,श्रृंगार नहीं,
तू ना ही, मधुर , गीत कोई,
ना बन सहज तू, प्रीत कोई,
फूलों सी कोमलता छोड़,
कांटों सी चुभन को, सृजित कर।
सुरभी सी न तू, फैला कर जग में ,
विष बन कर अब, उतर उर में ।
अब कृष्ण ना कोई आवेगा
जो तेरी लाज बचाएगा ।
हे बेटी! तू चंडी बन, तू काली बन,
खड्ग उठा , शीश खंडित कर।
अब अश्रु नहीं हथियार तेरा,
विनती न कर, न गुहार लगा ।
मृत्यु से पहले न मर बेटी,
कायर ना तू बन बेटी।
उठ पूरी ताकत जूटा,
मार ठोकर, कर उसे अधमरा।
एक सशक्त प्रहार, तू कर बेटी,
मारने से पहले न मर बेटी..
मारने से पहले न मर बेटी😭
दुखित मन से🥺