हे वंशीधर!!!
हे, वंशीधर! हे,त्रिपुरारी !! हे महादेव !!! संहार,
भगवाधारी कालनेमि कर रहे आज व्यभिचार ।
मूल फूल मठ मन्दिर शाला हो रहे आज बदनाम ,
ये जटा-जुट कंठी-माला धारी करते ऐसे काम।
फैला कर पाखण्ड निराला बन बैठे धर्माचारी
सूरा सुंदरी में मन डुबाकर हो गए बलात्कारी।
©”अमित”