हे प्रियतमा, काश मैं पवन हो जाऊं l
हे प्रियतमा,
काश मैं, पवन हो जाऊं l
तुझसे लिपटा ही, रह जाऊं ll
काश मैं, पानी हो जाऊं l
सही समय, तुझसे चिपक जाऊं ll
काश मैं, धरा हो जाऊं l
तुझे सदा संभालता, दिख जाऊं ll
काश मैं, शृंगार साधन हो जाऊं l
तेरे लब, आखों, गाल, गेसू, तन मन पर चमक जाऊं ll
काश मैं, जीवन सत्व हो जाऊं l
तेरे रूप, तेरे स्वास्थ का, कारण हो जाऊं ll
काश मैं, तेरा दर्पण हो जाऊं l
एक महान रसिक, हो जाऊं l
काश मैं, तेरा हो जाऊं l
प्यारी प्रीत कहानियाँ, लिख जाऊं ll
काश मैं तुझे ले, वो प्यास हो जाऊं l
जीवन भर, तृप्ति ना पाऊं ll
अरविन्द व्यास “प्यास”