हे नारी
हे नारी
हर जांघ दुर्योधन नहीं
हर हाथ दुशासन नहीं
हर न्याय करने वाला धृतराष्ट्र नहीं
हर पुरुष दुराचारी अत्याचारी नहीं
हर युग में कृष्ण अवतरण होंगे
यही शास्वत है
तू क्यों कृष्ण की राह देखें है
तू स्वयं शक्ति है
तू ही दुर्गा महाकाली है