हे! नाथ
हे! नाथ….
हे! नाथ कृपा करना सब पर,
हो मति सबकी पावन निर्मल।
सब करें तरक्की नित नूतन,
ना दिखे कहीं कटुता वा छल।।
सद्गुण हो सबके अन्तर्मन,
सब करें सदा सज्जन वंदन।
अर्पित चरणों में नवल सुमन,
महके शीतल जीवन चंदन।।
सुषमा से आच्छादित धरती,
उत्पादित हो वैभव सोना।
खुशहाली चारो ओर दिखे,
अवशेष नहीं कोई कोना।।
जीवन गौरव से परिपूरित,
अद्वितीय हर वीर कहानी हो।
न्यौछावर करने को तत्पर,
मिट्टी पर यहाँ जवानी हो।।
मधुमय सपने हँसती पलकें,
हर ओर महकता हो सावन।
हो प्रेम सहजता लिए हुए,
हर मन में भाव प्रणव पावन।।
नव ताल चाल नव रूप रंग,
नव वर्ष नया संदेश सजे।
समृद्धि का साज लिए ‘राही’
संगीत धरा हर रोज बजे।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)