हे नाथ कहो
हे नाथ कहो …………..
कोई शब्द जो मेरे मन में आता; क्या तुमसे मिलकर आता है ?
जो भाव उठा मेरे उर में, क्या तुम तक स्वामी जाता है ?
हे नाथ कहो यदि जाता है
क्या श्रवण किया तुमने मेरा क्रंदन
क्या महसुसू किया आपने,
जब तुम्हें न देख कर बिखरा मन
तुम जब हँसते हो कितना मन को भाता है ………….
हे नाथ कहो ..यदि जाता है,..
क्या तुमने मम हृदय पुकार सुनी
जो तेरे चरणों में गुहार लगी
क्या मन की वो हूंक सुनी
करते अनदेखा तब, मन व्यथित हो जाता है …………
हे नाथ कहो ….यदि जाता है ……..
क्या व्यथा मेरी तुम तक पहुंची है
द्रवित जो मुझको करती
असह्य जिय वेदना तुम तक पहुंची है
यदि पहुंची तो निदान करो, अस्तित्व मिटा अब जाता है……………..