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17 Jun 2024 · 1 min read

*हे तात*

💕 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक 💕
❤️‍🩹 हे तात ❤️

तुम ही हो जिसकी फितरत की ठसक और झलक दिख रही है मुझ में।
तुम ही हो जिसकी काया मिली है हमको , मुझे और मेरे साथ के भाई बहन को।

पूरी दुनिया जिसके नाम से पहचानती है वो तुम ही हो हे तात।
मेरी सारी आदतें जिन्दगी कलाकारी लेखनी और शक्लो सूरत में लोगों ने पाया तुमको।

तेरी ही विरासत से गया पहचाना मैं वरना था अकेला मैं तो ।
हे तात नमन है आपके चरणों में पिता दिवस पर और उससे पहले और उसके बाद भी।

क्योंकि तुम ही हो मेरी जिंदगी की नींव मजबूत पत्थर और उस पर खडी इमारत भी ।

तुम हो तुम ही हो जिसकी छाया में समर्पित है जीवन मेरा ।
तुम ही तो हो जिसके साए में छूता सफ़लता के नए आयाम ये जीवन मेरा।

हे तात तुझमें और ईश्वर में फर्क नहीं कोई वो नारायण है और तुम नर हो ।
तुम भी संरक्षक हो और उसके साए में भी सुरक्षा हैं हम सब की ।

हे तात नमन है आपको बारंबार प्रणाम है आपको ।

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