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29 May 2024 · 1 min read

हे जगतारिणी

हे जगतारिणी। वीणाधारिणी।
जगजननी माँ शारदे !
तू जग को तार दे !

ये जग अँधेरे से घिरा है।
आदमी पद से कितना गिरा है!
सबको ज्ञान का सार दे ! माँ शारदे !
तू जग…….

पग-पग पर है यहाँ घोटाला,
जनता सरकारों का निवाला।
रावण का मन मार दे ! माँ शारदे !
तू जग…….

ईर्ष्या , क्रोध, असूया, मद हैं,
जन-जन के अब छोटे कद हैं।
मन दर्पण को निखार दे ! माँ शारदे !
तू जग……

सबकी जीभ विराजे जननी !
नीर-क्षीर पहचाने जननी !
सद्‌बुध्दि भण्डार दे ! माँ शारदे !
तू जग……

Language: Hindi
62 Views
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