हे चाणक्य चले आओ
चन्द्रगुप्त ओर चाणक्य के मिलन से ही
नवनिर्माण हुआ था
एक शिष्य ने गुरू के वचनो को
शिरोधार्य किया था
कठिन चुनौती अथक परिश्रम
ओर साहस से
एक साधारण सा बालक चन्द्रगुप्त मौर्य
महाशासक बना था
देश वही है परिवेश बदला है
चुनौती नई सामने खडी है
हे चाणक्य चले आओ
वर्तमान के चन्द्र गुप्त को राह दिखाने को
एक नव भारत के निमित्त तुम्हे
आना होगा
फिर से कसम खाना होगा
फिर किसी साधारण को
असाधारण बना होगा
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज )