हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
स्वच्छ चांदनी संगति तेरी
स्नेह आपकी बारिस मानो,
जैसे कोई घटा घनेरी,
तुम, ग्यानपुंज की अविरल धारा,
कृपा तुम्हारी, मुझे निहारा,
मैं अगणित राही था चलता ,
मन का था विश्वास मचलता,
हाथ पकड़कर बोध कराया,
पास खड़ी है जीत हमारी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी
स्वच्छ चांदनी संगति तेरी ।
कैलाश सिंह ✍️