हे गिरिधर ….
***श्रीकृष्ण स्तुति ***
है गिरधर है गोपाल ।
करुणा कर दो दीनदयाल।।
है मुरारी है चक्रधारी।
तीनों लोक में महिमा न्यारी ।।
मुरली मनोहर छवि अति प्यारी ।।
है मधुसूदन देवकीनन्दन।
कर रहा हूँ मैं प्रतिपल वन्दन।।
है जगदीश्वर है राधेश्वर।
गोपीश्वर है योगीश्वर।।
है कृष्ण है घनश्याम ।
लगाओ फिर दुशासन पर विराम।।
है पीताम्बर है नटवर।
दो आज यह अद्भुत वर।।
कि रोक सकूँ मैं नारी का अपमान ।
बना रह पाये उनका सम्मान ।।