हे कृष्णा
हे कृष्णा मुझे बचा लो।
इस अंधकार युग से मुझे बचा लो।
स्वार्थ युग से मुझे बचा लो।
विष प्रेम से मुझे बचा लो।
कोई दोस्त सच्चा नही,
कोई बंधु निज नही,
न माता अपना न पिता
न पति पत्नी, न संतान
आज कल कोई किसी का नही।
इस कलियुग में किसी के पास प्रेम नहीं।
हर व्यक्ति जी रहा है अपने स्वार्थ के लिए,
तड़प रहा है इंसान खुशियों के लिए।
जो सच्चा है उसके ऊपर निंदा है।
अथर्म से चलता उसी का बोलबाला है।
कैसे जीना है कृष्णा।
हे मेरे देव मेरी प्रार्थना है
इस युग में भी नव गीता सुना दो।
डॉ गुंडाल विजय कुमार
हैदराबाद, तेलंगाना