हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।
ह्रदय की शांति कहीं खो गई है,,,
मुरली की मधुर धुन बजा कर,,,
फिरसे इसे ह्रदय में बुलाओ ना।।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।।
मानव,पशु,पक्षी,खग,मृग,,,
सभी व्याकुल हुए है संसार में,,,
पुनः जन्म लेकर सबको,,,
अपना नीला चंद्र रूप दिखाओ ना।।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।।
घर-घर दुष्ट कंस पैदा हो गए हैं।
हे सुदर्शन चक्रधारी,,,
उनका वध करने को आओ ना।।
बहुत बड़ गया है अत्याचार पृथ्वी पर,,,
शुद्धिकरण करने को तुम,,,
अपना दिव्य,रुद्र रूप दिखाओ ना।।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।।
गीता में तुमने कहा था।
जब जब पाप बढ़ेगा,,,
तब तब तुम इसे मिटाने को,,,
स्वयं पृथ्वी पर आओगे,,,
देखने को पाप का अत्याचार,,,
अपनी एक दृष्टि हम पर डालो ना।।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।।
बाल्यरूप तुम्हारा देखकर,,,
हम सब मंत्रमुख्ध हो जायेंगे,,,
तेरे खाने की खातिर घर में,,,
हम सब फिर से माखन को बनायेगें,,,
तुम छुप छुप कर सबसे,,,
इस माखन को लेकर जाओ ना।।
हे कृष्णा पृथ्वी पर फिर से आओ ना।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ