हे कालों के महाकाल, सुन लो अरज हमारी
हे कालों के महाकाल, सुन लो अरज हमारी
सूना सूना मनमंदिर है, और हुआ मन भारी
सूखा सूखा श्रावण है, आई करोना महामारी
फसलें सूख रही पानी बिन, परेशान दुनिया सारी
हे चंद्रेश्वर, मन महेश, न देखी शाही सवारी
नहीं चहल-पहल सावन की, न रिमझिम बरसात हुई
सोमवती पर तीरथ सूने, ऐंसी आफत पहली बार हुई
सुने हैं सब गली मोहल्ले, रोनक बाजारों की गायब हुई
बंद पड़ी हैं बस और रेलें, आवागमन प्रभावित है
बंद स्कूल कॉलेज, आर्थिक गतिविधियों पर आफत है
मार रहा करोना रावण, सारी दुनिया सांसत में है
हे कालों के महाकाल, मारो तत्काल महामारी
मानव जाति पर खतरा है, जूझ रही धरती सारी
फिर सब सामान्य करो, प्रभु विपदा हरो हमारी
फिर से हम दर्शन को आएं, सुन लो अरज हमारी
सुख शांति और अमन से हम, पूजा करें तुम्हारी