हे कान्हा
हे कान्हा करना कृपा
तन. मन रहे खुशहाल
प्रकृति को सदा निरख
परख होता रहूं निहाल
अपनी कृपा दृष्टि से देते
रहना सन्मति मुझे मुरारी
तेरी महिमा गाके निर्विघ्न
गुजरे प्रभु मेरी उम्र सारी
होली पर सब रंग मेरे तेरे
चरणों में हों स्वीकार
आपकी कृपा रस से सिक्त
रहे मेरा मन मंदिर घर द्वार