हे ईश्वर!!!!
अच्छा भला वापिस लौट रहा था कोरोना
पर, लापरवाही रही हम सबकी
फिर से कोरोना ने आंतक मचा दिया
किसी को रूला दिया,किसी को यूं ही सुला दिया
उम्मीदों के दीपक में ग़म का तेल डाल दिया
कैसे ज्योति जले खुशियां की??
अब हे ईश्वर! तु ही कोई उपाय सुझा,
भगवन तू ही सबको बचा!!!!
देखा नहीं जाता जो माहौल है अब बना
आंखें होती नम, मुख से निकलती दुआ,
कृपा कर कुछ चमत्कार तो दिखा
अपराधों को क्षमा कर,खुशियों का अब बाग खिला।
– सीमा गुप्ता, अलवर