हे अर्जुन उठो!
हे अर्जुन उठो,————दुष्टो को सबक सिखाना है।अब समय नही सोने का,सत्य की रक्षा के लिए फिर, गाण्डीव उठाना है।देखो तो अब ऐसा लगता है,कि वीरों से पृथ्वी खाली है। इसलिए दुष्टों की चाल मतवाली है।एक बार फिर तुम्हें गीता सुनाना है। दुष्टों को सबक सिखाना है। हे अर्जुन उठो—-+———-अब इस जमाने का रंग ढंग तो देखो एक बार। कहीं आप शामिल तों नही हो बन कर भृष्टाचार। लड़ाई अब तीर और कमानो से नही लड़ी जायेगी। आपको जगाने के लिए ,अब गीता नहीं काम आयेगी।अब सब काम होता है, “सुपारी”से तुम्हें अब सुपारी दी जायेंगी।