हे,प्रियवर…!
मैं नहीं देता बधाई
हिन्दी दिवस की
आखिर क्यों दूँ?
हिन्दी हमारी न सिर्फ़ मातृभाषा
अपितु है राष्ट्रभाषा भी
अतः क्यों बाँधें हम उसे
किसी दिवस विशेष के दायरे में??
हिन्दी-हिन्दु-हिन्दुस्तान
बसते हैं हमारी रग-रग में
अतः क्यों न बोलें हम
हिन्दी की जय
रोज़-रोज़
हिन्दी के लिये जियें
हिन्दी के लिये मरें
अपने हर काम के लिये
सिर्फ़ और सिर्फ़
हिन्दी को ही वरें।
तब होगा रोज़ ही हिन्दी दिवस
अतः हे,प्रियवर
इसे किसी
दिवस विशेष में मत कस
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर